मां विंध्यवासिनी मंदिर जाने का रास्ता साफ सुथरा समतल और सरल है. कुछ रास्तों पर आप पैदल जा सकते हैं और कुछ अलग रास्ते हैं जिनसे आप मंदिर के निकट अपने वाहन से जा सकते हैं. जो भी आपका वाहन है, कार टैक्सी ऑटो रिक्शा आदि,उससे मां विंध्यवासिनी मंदिर के बहुत नजदीक जा सकते हैं. जाने के भी दो मार्ग हैं, जिन्हें ओल्ड वीआईपी और न्यू वीआईपी मार्ग कहते हैं। इन दो रास्तों पर जाने पर आपको केवल 2-4 सीढ़ियां ही चढ़नी पड़ती है।
हालांकि, नवरात्रि के समय में वाहन को मंदिर के बहुत नजदीक नहीं जाने देते हैं, तब आपको काफी दूरी पैदल चलना पड़ सकता है, लेकिन सामान्य समय में आपको बहुत ज्यादा नहीं चलना पड़ता हैं।
विंध्याचल के अधिकांश ठीकठाक होटेलों एवं धर्मशालाओं में पार्किंग की सुविधा है जिनके पास अपनी पार्किंग नहीं है वह कहीं आस पास आपकी गाड़ियों की पार्किंग करा लेते हैं फिर भी यह सलाह दी जाती है कि आप होटल में अपना कमरा बुक करते समय पार्किंग के लिए स्पष्ट रूप से पूछ ले इस वेबसाइट पर जो होटल दिए हुए हैं उनमें अधिकतर में पार्किंग की सुविधा है
सबसे अच्छा होगा कि आप मंदिर में ही प्राप्त मंदिर के प्रांगण में ही उसकी छत पर कहीं बैठकर पूजा करें जिससे आपको मंदिर की ऊर्जा का लाभ मिले लेकिन अगर आप आसपास देखना चाहते हैं तो किसी होटल या धर्मशाला में स्थान देख सकते हैं इसके अतिरिक्त आप कई पंडों के घरों में बात कर सकते हैं जो आपको उपयुक्त स्थान की सुविधा दे सकते हैं |
विंध्याचल में कई दर्शनीय स्थान है लेकिन उसमें प्रमुख तीन ही है मां विंध्यवासिनी का मुख्य मंदिर, काली खोह में स्थित काली मां का मंदिर एवं अष्टभुजा देवी का मंदिर। यह तीनों मंदिर 10 किलोमीटर की परिधि में है और बड़े आराम से ऑटो रिक्शा या किसी अन्य वाहन से या सामान्य रिक्शे से भी देखे जा सकते हैं इसके अतिरिक्त छोटे-छोटे कई मंदिर हैं जिनके बारे में स्थानीय स्तर पर पूछा जा सकता है |
नहीं ऐसा कोई ड्रेस कोड विंध्याचल स्थित मां विंध्यवासिनी मंदिर में नहीं है हां हालांकि आप से आशा की जाती है कि आप सभ्य और शालीन वस्त्र पहने जिनमें अनावश्यक अंग प्रदर्शन ना हो रहा हो |
मां विंध्यवासिनी मंदिर में दर्शन के लिए समय नवरात्रि और सामान्य दिनों में अलग-अलग होता है जिसके लिए निम्नलिखित लिंक पर आप क्लिक करके जान सकते हैं | Click Here...
मंदिर वर्ष के प्रत्येक दिन खुला रहता है किसी भी त्योहार पर किसी भी दिन किसी भी पक्ष में किसी भी काल में मंदिर प्रतिदिन खुलता है |
नहीं, विंध्याचल के अधिकांश मंदिर जिनमें मां विंध्यवासिनी का प्रमुख मंदिर शामिल है सामान्य धरातल पर है और आपको सीढ़ियां बहुत ज्यादा नहीं चढ़ने पड़ती हैं केवल मां अष्टभुजा का मंदिर ही ऊंचाई पर है जहां पर सीढ़ियों से जाना पड़ता है |
हां वे बड़े आराम से मां विंध्यवासिनी के मंदिर दर्शन कर सकते हैं क्योंकि केवल दो चार सीढ़ियां ही मंदिर दर्शन के लिए चढ़नी पड़ती है |
विंध्याचल मंदिर भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में प्रयागराज और वाराणसी के मध्य मिर्ज़ापुर जिले में गंगा नदी के तट पर स्थित है |
विंध्याचल के मां विंध्यवासिनी मंदिर से सबसे निकट रेलवे स्टेशन विंध्याचल ही है जो मंदिर से 1 किलोमीटर दूरी पर है लेकिन सभी प्रमुख ट्रेनें यहां नहीं रुकती अगर आपकी ट्रेन विंध्याचल रेलवे स्टेशन पर नहीं रुक रही है तो मिर्जापुर रेलवे स्टेशन पर रुक रही होगी जो मंदिर से 08 किलोमीटर दूरी पर है |
नहीं विंध्याचल के मां विंध्यवासिनी मंदिर में दर्शन के लिए किसी भी टिकट की व्यवस्था नहीं है सभी व्यक्ति वह समाज के किसी भी वर्ग से हैं एक ही पंक्ति में एक ही लाइन में लगकर मां विंध्यवासिनी के दर्शन करते हैं |
विंध्याचल धाम का मां गंगा के तट पर ही बसा हुआ है इसलिए आप बड़े आराम से विंध्याचल में गंगा स्नान का लाभ उठा सकते हैं सामान्य दिनों में गंगा तट पर स्थित घाट उतने स्वच्छ और व्यवस्थित नहीं रहते हैं, लेकिन नवरात्रि के दिनों में पूरी व्यवस्था होती है एवं महिलाओं के कपड़ा बदलने के लिए भी उन दिनों में व्यवस्था रहती है, लेकिन सामान्य दिनों में हो सकता है कि आप गंगा तट पर स्थित घाटों को उतना स्वच्छ ना पाए, इसलिए अगर आप चाहे तो आसपास के धर्मशाला या फिर पंडों के घरों कपड़े छोटा सा कमरा कुछ समय के लिए किराएं पर लेकर आप कपड़े बदल सकते हैं |
विंध्याचल धाम में कई रेस्टोरेंट्स एवं भोजनालय हैं , जो सामान्य रूप से उत्तर भारतीय खाना और कुछ दक्षिण भारतीय व्यंजन भी बना सकते हैं। उनकी गुणवत्ता बहुत अच्छी तो नहीं लेकिन सामान्य है |
मंदिर में आरती का समय सामान्य दिनों और नवरात्रि के दिनों में अलग-अलग होता है जिन्हें आप नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके जान सकते हैं | Click Here...
यदि आप सामान्य दिनों में आ रहे हैं तो मां विंध्यवासिनी मंदिर के एकदम निकट आप अपनी कार या टैक्सी से जा सकते हैं लेकिन नवरात्रि के दिनों में बहुत भीड़ होने के कारण कार और टैक्सियों को काफी दूर रोक दिया जाता है, जिस कारण से नवरात्रि के दिनों में आपको ज्यादा पैदल चलना पड़ सकता है।
हां आप एक ही दिन में मां विंध्यवासिनी के ही नहीं यहां के मुख्य और दो मंदिरों में भी दर्शन करके आ सकते हैं।
अपना सामान रखने के लिए या तो आप कोई होटल, धर्मशाला या यात्री निवासों में कोई कमरा ले सकते हैं, जो सुरक्षित होते हैं और अगर आपको रुकना नहीं है तो मंदिर के आसपास जो प्रसाद की दुकानें हैं, वहां से यदि आप देवी को अर्पित करने के लिए प्रसाद आदि लेते हैं तो ये दुकानें निःशुल्क आपके सामान को अपने यहां रखने की सुविधा देती हैं। सामान्य रूप से अगर आप के सामान में ताला लगा हुआ है तो वह सुरक्षित रहता है और कभी यात्रियों के सामानों में से कोई चोरी आदि की घटनाएं नहीं हुई है। जब आप सामान रखें तो हर प्रसाद की दुकान का एक क्रमांक या नंबर होता है उसे जरूर नोट कर लें, जिससे मंदिर में दर्शन के बाद आप आराम से उस प्रसाद की दुकान तक पहुंच जाए।
मां विंध्यवासिनी मंदिर आप सड़क मार्ग, रेल मार्ग और हवाई मार्ग से जा सकते हैं। विस्तृत विवरण के लिए नीचे दिए लिंक पर क्लिक करें |
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सामान्य दिनों में तो बहुत ज्यादा भीड़ नहीं होती है, लेकिन छुट्टी के दिनों में, रविवार को, मंगलवार को और विशेष त्योहारों पर भीड़ ज्यादा होती है। नवरात्रि के दिनों में तो तिल भर स्थान नहीं होता है और पूरा विंध्याचल धाम परिक्षेत्र भीड़ से खचाखच भर जाता है। तो यदि आप नवरात्रि के दिनों में आ रहे हैं तो आपको मानसिक रूप से भीड़ के लिए तैयार रहना पड़ेगा।
सामान्य दिनों में जब बहुत ज्यादा भीड़ नहीं होती तो पंद्रह बीस मिनट से एक घंटे में दर्शन हो जाता है। नवरात्रि के दिनों में या किसी किन्हीं विशेष त्योहारों पर दो तीन घंटे दर्शन के लिए लग सकते हैं |